Anorexia – अरोचक / अरुचि
मुँहमे लिये अन्न का स्वाद न
लगना या फिर खाना खाने के पूर्व या खाना खातेही विरक्ति भाव उत्पन्न होना याने अरोचक
/ अरुचि । आस्यवैरस्य, विरसास्यता, भक्तोपघात, अरुचि,
अश्रद्धा,अनन्नाभिलाषा,भक्तद्वेष,अभुक्तच्छन्द ये सब अरोचक के पर्यायी नाम है ।
अरुचि – रुचियुक्त आहार मुँहमे डालनेपरभी उसका स्वाद मालूम न पडना । अनन्नाभिलाषा / अनन्नभिनंदन – पसंदीदा खानाभी खानेकी इच्छा न होना । भक्तद्वेष – अन्न क स्पर्श,दर्शन,गन्ध इतनाहि नही तो उसका स्मरणकीभी इच्छा न होना । अभक्तच्छन्द – क्रोध,शोक,भय आदि के कारन खानेपरकी इच्छा नष्ट होना । अश्रद्धा – अन्नपर इच्छा न होना । ऐसे थोडे थोडे अलग अलग लक्षणवाले सब रोग ‘अरोचक’ इस शीर्षक के अन्तर्गतही आते है । आयुर्वेदने इसके वातज,पित्तज,कफज,त्रिदोषज और मानसिक ऐसे पाँच प्रकार वर्णन किये है । भूक कम करनेवाले आहारका अतिसेवन, विषेशतः हजम होने मे जड चीझे, अतिस्निग्ध, अतिमीठी चीझे, चिन्ता, भय,क्रोध आदि मानसिक कारन, दुर्गंधीयुक्त या पसन्द न आनेवाला आहार सामने आना ये सब अरोचक के कारन है । आधुनिक वैद्यकके अनुसार इसे Anorexia कहते है । इसके उन्होने दो प्रकार वर्णन किये है । - १) शारीरिक कारन – जिन रोगोंमे आमाशय विकृती होती है ऐसे gastritis, stomach tumours, anaemia ऐसे रोगोंमे अरोचक दिखता है । २) मानसिक कारन – इसेही Anorexia Nervosa कहते है । भय, क्रोध, शोक आदि कारनोंसे आमाशयमे आनेवाला पाचकस्त्राव कम बहता है और फिर उस वजहसे भूक कम लगती है और अन्नकी घृणा पैदा होती है । |
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