Diarrhoea – अतिसार / दस्त
डायरिया को आयुर्वेदमे
अतिसार कहा जाता है ।
जिस व्याधीमे गुदमार्गसे द्रवभागका अतिप्रमाणमे निःस्सरण होता है उसे अतिसार कहते है । इस व्याधीका स्वरूप अत्यंत गंभीर और शरीरपे तत्काल परिणाम करनेवाला है । आयुर्वेदमे इस अतिसारके सात प्रकार वर्णन किये है । वो इसप्रकार – वातज, पित्तज, कफज, त्रिदोषज, शोकज, आमज और भयज अतिसार । देरसे पचनेवाले पदार्थोंका अतिसेवन, अतिस्निग्ध,अतिरुक्ष, अतिउष्ण, अतिद्रव, अतिशीत पदर्थोंका सेवन करना, अजीर्ण, विषयुक्त पदार्थ सेवन, अतिभय, अतिशोक, दुषितजल का सेवन, पेटमे कृमी होना आदि कारनोंसे अतिसार उत्पन्न होता है । अतिसार होनेके पहिले हृदय, नाभी, गुद, उदरप्रदेशमे सुई चुभने जैसी पीडा होती है । दौर्बल्य प्रतित होता है । मलप्रवृत्ती बडे कष्टसे होती है या फिर मलावष्टंभ दिखता है । पेटमे गैसेस होते है । अतिसार शुरु होनेके बाद पतला मल शरीरसे बाहर निकलना चालू होता है । शुरुवाती दौरमे पतले दस्तके साथ मल का कुछ घन भाग रहता है पर धीरे धीरे केवल पानी जैसे दस्त शुरु होते है । मलके वेग अनियंत्रित रहते है, इसिलिये जबभी रोगी मुत्र या वायु निःस्सरण करने का प्रयास करता है तबभी मल का वेग आता है । जिस रुग्णमे मुत्र या वायु वेग प्रवृत्तीके समय मल का वेग नही आता तब अतिसार पूर्णरूपसे कंट्रोलमे आया है ऐस हम कह सकते है । आधुनिक वैद्यक शास्त्रके अनुसार अतिसारको Diarrhoea कहते है । Irritating Food , worms, chilled products, Intestinal TB, cholera, Enteritis, Colitis आदि कारनोसे अतिसार होता है ऐस कहा है । |
Acne | Alopecia | Anaemia | Anorexia
| Arthritis
– simple | Asthma
| Common Cold
| Constipation
| Coryza |
Diaper
Rash | Dandruff
| Dhobies Itch
| Dhobies Rash
| Diarhhoea
| Dysentry
| Epilepsy
| Fever | Gout | Hemicrania | Herpes | Hyper Acidity |
Impotency |
Jaundice |
Kidney Stone
| Leukoderma |
Migrain | Mumps | Napkin Rash | Obesity | Psoriasis
| Renal
Calculus | Rhagades
| Rheumatoid
Arthritis | Sore
Buttocks | Sprue
|
Stomatitis |
Urinary Stone
| Urticaria
| Vertigo |
Vitiligo |
Worms