Hyper Acidity - अम्लपित्त / एसिडीटी
इसको आयुर्वेदमे अम्लपित्त
कहा जाता है ।
“अम्लगुणोद्रिक्तं पित्तं अम्लपित्तम । “ याने जिस व्याधीमे अम्लगुणसे पित्त बढ़ता है उसे अम्लपित्त कहा जाता है । अपने शरीरमे पित्त दो प्रकारका होता है । एक प्राकृत पित्त जो तीखे रसवाला रहता है और दुसरा विकृत पित्त जो अम्लरसका होता है । अम्लपित्त एक ऐआ व्याधी है जो तय्यार होनेमे कई दिन तो क्या , कई महिनेभी लग सकते है । धीरे धीरे निर्माण होनेवाला ये व्याधी है । और इसिलिये उसपे उपचार लेते समयभी जल्द्बाजी करके फायदा नही होता है । वर्षा ऋतूके प्रभावसे शरीरमे पित्त संचित होने लगता है । और ऐसी स्थितीमे अगर विरुद्धाहार, दुषित भोजन का सेवन, एक्दम खट्टे-जलन करनेवाले पदार्थोंका सेवन करना, जादा पानी पिना, नया धान्य-मद्य आदि का सेवन, फर्मेंटेड चीझोंका सेवन, खट्टा दहि या छाछ का अतिसेवन, जादा उपवास करना, रात को जागरन, दिनमे सोना, बाँसी चीझे खाना ऐसे कारनोंसे पित्त और जादा दुषित होता है और फिर अम्लपित्तकी शुरुवात होती है । भूक न लगना, छाती-कंठमे जलन होना, जी मचलना, अन्न का पचन न होना, क्लम ( बैठे बैठे थकान महसूस होना, खट्टी या कड़्वी ड़्कारे आना, अरुचि, पेट भराभरासा लगना, पेटमे दर्द, सिरदर्द, हृत्शूल, गैसेस, कभी कभी पतले दस्त होना, गुदामे जलन होना ये सब लक्षण अम्लपित्त के है । आयुर्वेदने अम्लपित्तके दो प्रकार वर्णन किये है । वह इस प्रकार – १) उर्ध्वग अम्लपित्त – इसमे उल्टिया होती है । उल्टी का रंग हरा, पीला, नीला या काला रहता है । उल्टी एक्दम कड़्वी या खट्टी रहती है । उल्टी के बाद सिरद्रद, पेटमे जलन आदि लक्षण कम हो जाते है । २) अधोग अम्लपित्त – ये बहोत कम बार दिखनेवाला प्रकार है । इसमे उल्टीकी बजाय टट्टीद्वारा हरे / काले / पीले रंग का पित्त निकलता है । मल निकलते समय गुददाहभी होता है । इसमेभी पित्त निकल जानेके बाद सिरदर्द, पेटकी जलन आदि लक्षण कम हो जाते है । अम्लपित्त ये एक ऐसा व्याधी है जो औषधी की बजाय परहेजसे जल्दी ठीक होता है । अगर परहेज पालन नही हो रहा है तो दवाई लेना व्यर्थ है । आधुनिक वैद्यक शास्त्रके अनुसार अम्लपित्तको Hyperacidity कहते है । उनके अनुसार इसके कारन इस प्रकार है – - Gastric ulcer – duodenal ulcer - Heavy smoking and liquor drinking - Carbohydrates Fermentation - Mental Stress and Strain इसके लक्षण heartburn and vomiting sensation ये कहे है । |
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