Urticaria – छपाकी /
शितपित्त
इसे आयुर्वेदमे शितपित्त, कोठ,
उत्कोठ, उदर्द ऐसे नाम दिये गये है ।
आयुर्वेदने इसका कारन “शीतमारुतसंस्पर्शात्प्रदूष्टौ कफमारुतौ ।“ ऐस दिया है । इसका मतलब ठंड़ी हवा लगनेसे या वेगधारण आदि कारनोंसे प्रकुपित हुए वात और कफ दोष पित्तके साथ त्वचापर मंडल , चकत्ते उत्पन्न करते है उसेही शितपित्त कहते है । इस रोगमे मधुमक्खीके ड़ंखके समान शरीरपर मंडल उत्पन्न होते है । उसमे खुजली या दाह – जलन या वेदना रहती है । जैसे जैसे रोगी खुजलाता है वैसे वैसे वह चकत्तेका आकार बढ़ता जाता है । साथमे प्यास, अरुचि, जी मचलना, शरीर मे वेदना, उल्टी होना, बुखार आना आदि लक्षणभी कभी कभी देखे जाते है । किसी किसी रोगीमे पाचनकी गडबडसे या कोई विशेष पदार्थ खाने के बाद या किसी विशिष्ठ पदार्थका स्पर्श-मात्र होनेसे उसे शितपित्त आ जाता है । आधुनिक वैद्यकशास्त्रके अनुसार इसे Urticaria कहा जाता है । ये एक प्रकारकी allergy मानी जाती है । |
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