Vertigo – चक्कर आना
इसे आयुर्वेदमे भ्रमरोग कहा
गया है । वैसे इस नामसे कोई अलग रोगका वर्णन नही किया गया है । पर ये आमतौरपर किसी
दुसरे व्याधीके लक्षणके रूपमे देखा जाता है ।
“चक्रवत् भ्रमतो गात्रं भूमौ पतति सर्वदा । भ्रमरोग इति ज्ञेयो रजःपित्तानिलात्मकः ॥“ भ्रम याने चक्कर आना । भ्रमरोगमे सिरमे अलग अलग संवेदना महसूस होती है ।सिर घूम रहा है ऐसा लगता है और फिर रोगी जम़ीनपर गिर जाता है । आयुर्वेदके अनुसार वातदोष, पित्तदोष और मनका रजः दोष बढ़ना ये भ्रम रोगके कारन है । इसमे हम ये प्रकार अलग अलग पहचान सकते है । १) वातदोषसे भ्रम – बाकी चीझे स्थिर है पर मै खुद घूम रहा हूँ ऐस रोगीको लगता है । २) पित्तदोषसे भ्रम – मै स्थिर हूँ पर दुनिया घूम रही है ऐस रोगीको लगता है । ३) रजःदोषसे भ्रम – इसमे मानसिक विकृतीयाँ देखनेको मिलती है । इसमे रोगीको संभ्रम रहता है । सच क्या झूठ क्या ये तय कर पाना रोगी को मुश्किल हो जाता है । आधुनिक वैद्यकशास्त्रके अनुसार भ्रमको Vertigo कहा जाता है । ये जादातर आगे दिये हुए तीन अवस्थाओंमे देखा जाता है । १) Disease of the vestibular nerve २) Cerebellar apoplexy ३) Cranial tumour |
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