Dysentry – प्रवाहिका /
आमांश / आँव
इसे आयुर्वेदमे प्रवाहिका,बिम्बीशी,
विस्त्रंसी, निश्चारिका, निर्वाहिका, निस्तानिका, अन्तर्ग्रंथी कहा गया है ।
“प्रवाहमाणस्य प्रवाहिका ।“ ऐसा कहा गया है । प्रवाहण याने जोर लगाना, कूँथना ।जिस व्याधीमे कूँथना पडता है और बादमे थोडीसी मलप्रवृत्ती होती है उसे प्रवाहिका कहा जाता है । अतिसार व्याधीमे जो जो कारन अतिसार होनेके दिये है वहि सब कारन प्रवाहिकामेभी होते है । लेकिन विशेषरूपसे भूक मंद करनेवाले और कफ बढानेवाले पदार्थोंका अतिसेवन ये प्रवाहिका के कारन है । इस प्रवाहिका के आयुर्वेदमे चार प्रकार वर्णन किये है । वातज, पित्तज, कफज और रक्तज । प्रवाहिकामे शुरु शुरु मे कफके साथ मलप्रवृत्ती होती है । लेकिन बादमे केवल कफकाही निःस्सरण होता रहता है । चिपचिपा कफ आन्त्रको अन्दरसे चिपका रहता है पर शरीर उसे बाहर निकालने कि कोशिश करता रहता है इसलिये बार बार शौच जानेकी इच्छा इस व्याधीमे होती रहती है । लेकिन असलमे मलप्रवृत्तीके समय बहुत थोडा मल बाहर निकलता है ( उसके चिपचिपेपन की वजहसे) । बार बार मलप्रवृत्ती और बार बार प्रवाहण करने के वजहसे रोगी बहोत जादा थक जाता है । इसी के साथ पेटमे गैसेस, उदरशूल, अंग दुखना आदि लक्षणभी दिखाई देते है । आधुनिक वैद्यक के अनुसार इसे Dysentry कहते है । इस्मे विकृती स्थुलान्त्रमे रहती है और प्रवाहण ( Tenesmus ) ये लक्षण mainly दिखता है । इसमे मल मे Mucus बहुत बडी मात्रामे रहती है । जीर्ण प्रवाहिकाको Chronic Colitis कह सकते है । इसके Bacillary और Amoebic ऐसे दो प्रकार है । |
Acne | Alopecia | Anaemia | Anorexia
| Arthritis
– simple | Asthma
| Common Cold
| Constipation
| Coryza |
Diaper
Rash | Dandruff
| Dhobies Itch
| Dhobies Rash
| Diarhhoea
| Dysentry
| Epilepsy
| Fever | Gout | Hemicrania | Herpes | Hyper Acidity |
Impotency |
Jaundice |
Kidney Stone
| Leukoderma |
Migrain | Mumps | Napkin Rash | Obesity | Psoriasis
| Renal
Calculus | Rhagades
| Rheumatoid
Arthritis | Sore
Buttocks | Sprue
|
Stomatitis |
Urinary Stone
| Urticaria
| Vertigo |
Vitiligo |
Worms